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Friday, March 14, 2014

Goddess Saraswati Ji sadhana will grace full Holi


माँ सरस्वती जी कृपा करेगी होली के दिन....
विद्यार्थी जीवन काल मे माँ सरस्वती जी के साबर मंत्र का साधना करनेसे उत्तम फल का प्राप्ति होता है,इस साधना से साधक को जहा माँ का आशीष मिलता है वही मेधा शक्ति का वृद्धि भी होता है॰एक बात हमेशा याद रखना जरूरी है “मंत्र कभी भी निष्फल नहीं होते है,निष्फलता तो साधक के अविश्वास उसे से मिलता है”॰
होली के रात्रि मे माँ सरस्वती जी के चित्र का पंचोपचार पूजन कर निम्न मंत्र का ११,००० बार जाप करे,मंत्र सिद्ध हो जायेगा॰मंत्र सिद्धि के बाद सुबह सूर्योदय से पूर्व तुलसी के २-३ पत्ते शुद्ध जल मे डालकर उसपर ११ बार मंत्र उच्चारण करके जल मे ३ फूँक लगाये और जल को ग्रहण कर लीजिये साथ ही पत्ते भी चभा लीजिये येसा २१ दिन करना आवश्यक है॰
मंत्र:-
॥ ॐ नम: भगवती सरस्वती परमेश्वरी वाग-वादिनी । मम विद्यां देहि,भगवती हंस-वाहिनी समारूढ़ा । बुद्धिं देहि देहि,प्रज्ञां देहि देहि,विद्यां देहि देहि । परमेश्वरी सरस्वती स्वाहा ॥

इस साधना के बहोत सारे लाभ है,आप जो कुछ भी पढ़ोगे उसे भूल नहीं सकते,चमेली के पुष्प से शुक्रवार के दिन पूजन कर चमेली के तेल का दिया लगाये और ढाई दिन तक दिया जलते रहेना चाहिये साथ ही उस स्थान पर बैठे राहिये परंतु सफ़ेद वस्त्र पर कलश स्थापना भी आवश्यक है,येसा विधान करने पर माँ साधक को वरदान स्वरूप सभी विद्या का ज्ञान प्रदान करती है॰

Tuesday, February 4, 2014

The method and moment of Saraswati Puja




आप सब को वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।।

सद्गुरुदेव एवं माँ सरस्वती आप सब को विद्या, बुद्धि और ज्ञान दें..

सरस्वती पूजा की संपूर्ण विधि और मुहूर्त
दिन बसंत पंचमी इस वर्ष 4 फरवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन अगर आप भी मां सरस्वती की पूजा करके उन्हें प्रसन्न करना चाहते हैं तो इसके लिए शुभ मुहूर्त पूरे दिन है।

सरस्वती माता की पूजा करने वाले को सबसे पहले मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप और अगरबत्ती जलानी चाहिए।

||सरस्वती वंदना||

सरस्वती के एक मुख, चार हाथ हैं । मुस्कान से उल्लास, दो हाथों में वीणा-भाव संचार एवं कलात्मकता की प्रतीक है । पुस्तक से ज्ञान और माला से ईशनिष्ठा-सात्त्विकता का बोध होता है । वाहन मयूर-सौन्दर्य एवं मधुर स्वर का प्रतीक है।इनका वाहन हंस माना जाता है और इनके हाथों में वीणा, वेद और माला होती है ।
हिन्दू कोई भी पाठ्यकर्म के पहले इनकी पूजा करते हैं ।

रात्रि कालीन सरस्वती साधना ::-

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥2॥

सरस्वती यन्त्र और लाल मूंगा माला से जाप करे ..

ऊं गं गणेशाय नमः: 3 माला
ऊं ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः : 3 माला
ऊं नमः निखिलेश्वरायै : 3 माला

विध्या की देवी, भगवती सरस्वती, कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥1॥

शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्‌ में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान्‌ बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ/करती हूँ ॥2॥

जाप गुरु देव को समर्पित करे
Guru Paduka Stotram By Bhagawat Pada Adi Sankara

अनंत संसार समुद्र तार नौकयीताभ्याम गुरुभक्तीदाभ्याम
वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्याम नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम || 1
कवित्व वाराशी निशाकराभ्याम दौर्भाग्य दावाम्बुद मालीकाभ्याम
दुरी कृता नम्र विपत्तीताभ्याम नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम || 2

नता ययोहो श्रीपतीताम समियुः कदाचीदप्याषु दरिद्र्यवर्याहा
मूकाश्च वाचस्पतीताहिताभ्याम नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम || 3
नालिक नीकाश पदाह्रीताभ्याम ना ना विमोहादी निवारीकाभ्याम
नमत्ज्ज्नाभिष्ट ततीप्रदाभ्याम नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम || 4
नृपाली मौली व्रज रत्न कांती सरीत द्विराजत झशकन्यकाभ्याम
नृपत्वादाभ्याम नतलोकपंक्तेहे नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम ||5
पापान्धाकारार्क परम्पराभ्याम त्राप त्रयाहीन्द्र खगेश्वराभ्याम
जाड्याब्धी समशोषण वाडवाभ्याम नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम || 6
श्मादी षटक प्रदवैभवाभ्याम समाधी दान व्रत दिक्षिताभ्याम
रमाधवाहीन्ग्र स्थिरभक्तीदाभ्याम नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम || 7
स्वार्चापराणाम अखीलेष्टदाभ्याम स्वाहा सहायाक्ष धुरंधराभ्याम
स्वान्तच्छभाव प्रदपूजनाभ्याम नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम || 8
कामादिसर्प व्रज ग़ारुडाभ्याम विवेक वैराग्य निधी प्रदाभ्याम
बोधप्रदाभ्याम द्रुत मोक्षदाभ्याम नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम || 9